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मॉडर्न युग में योग का डंका

आज मॉडर्न युग में पूरे संसार में योग का डंका बज रहा है । निःसंदेह भारत ने विश्व को योग के माध्यम से स्वस्थ तन और स्वस्थ मन का संदेश दिया है , स्वास्थ्य के लिए एक धरोहर जैसे ज्ञान से विश्व को प्रेरित किया है ।

प्रेशर टू परफॉर्म, हायर एक्सपेक्टेशन, काम का अधिक दबाव और समय प्रबंधन के युग में फिटनेस की डिमांड के चलते मॉडर्न दुनियां में योग , पॉवर योगा , मेडिटेशन , ध्यान, प्राणायाम,चक्र साधना , कुंडलिनी जागरण , बीज मंत्र साधना , एवं विभिन्न श्वास क्रियाएं स्वास्थ लाभ प्राप्त करने साथ ही छोटे बड़े नगरों में ,सोसायटी में स्टेटस सिम्बल बन चुका है ।

क्या बूढ़े , क्या जवान , प्रोफेशनल्स, एक्सीक्यूटिव्स , बिजनेसमैन , नौकरीपेशा से लेकर हाउस वाइव्स , युवा, युवतियाँ , स्टूडेंट्स सभी में क्रेज बढ़ा है कि किसी न किसी प्रकार का योगा करना ही करना है कोई स्वस्थ रहने के लिए ,कोई फिटनेस के लिए, कोई सुंदरता के लिए ,कोई स्ट्रेस ,तनाव कम करने के लिए तो कोई मानसिक शांति के लिए  !

यानि चारोँ और योगा ही योगा है ,इतने प्रचार - प्रसार के साथ , इतने सबके के बाद भी योग का कुछ ही प्रतिशत एक्स्प्लोर हो पाया है , अब तक योग से तन के स्वास्थ्य पर अधिक काम हुआ है मन के स्वास्थ्य पर उतना नहीं , शरीर के डिटॉक्सीफिकेशन पर अधिक कार्य हुआ है, लेकिन मन के डिटॉक्सीफिकेशन तक नहीं पहुचें !

मनुष्य के सूक्ष्म ,स्थूल शरीर, तन , मन , मस्तिष्क , इह लोक ,परलोक पंचतत्व, त्रिगुण ,पदार्थ , ऊर्जा और ब्रह्मांड तक को अपने में समेटे हुए
भारतीय दर्शन के अनुसार प्रमुख योग 8 प्रकार के हैं । 1- ज्ञान योग, 2- अष्टांग योग ,3- कर्म योग , 4- राज योग, 5 - हठ योग, 6 - मन्त्र योग ,7 - तंत्र योग और 8- भक्ति योग।

इन आठों योगों में से जो अब तक सामने आया है, वह इनके विद्वानों के व्यक्तिगत प्रयासों और इन योगों से संबंधित साहित्य सरलता से उपलब्ध होने पर आया है । जिन योगों का सर्वाधिक प्रचलन है , उनमें अष्टांग योग - के आसन , प्राणायाम और ध्यान, और भक्ति योग - के विभिन्न दृष्टांत ,कथाएँ , संकीर्तनं , और बहुत थोड़ा ज्ञान योग - एवं कर्म योग - का विभिन्न प्रवक्ताओं द्वारा गीता उपदेश एवं अन्य उपनिषद प्रवचनों के माध्यम से सामने आया है , राज योग - के विषयों को साधना के लिए थोड़े ही अध्याय ज्योतिषीय ग्रंथो में उपलब्ध हैं, हठ योग- पर भी बहुत से योगियों ने कार्य किया है ध्यान एवं समाधि तक पहुचें हैं लेकिन साधारण जीवन में अधिक समय नहीं होने से सभी लोग इनको कर सकें यह संभव नहीं होता ।
मंत्र योग और तंत्र योग में वैदिक मंत्रों के वैदिक स्वर विज्ञान सहित सही उच्चारण का ज्ञान आवश्यक होता है इसलिए इन योगों पर भी कम कार्य हुआ है ।

सरल मंत्र योग - ज्ञान, कर्म और उपासना विधि द्वारा संपादित किया जाने वाला सबसे सरल और इंस्टेंट रिजल्ट देने वाला , कम समय मे किया जा सकने वाला योग है मॉडर्न जीवन शैली में कम समय में अधिक प्रभावी रिजल्ट देने वाला है । मंत्र योग - उपनिषदक शरीर विज्ञान के रेफ़्रेंसेस के साथ वैदिक विज्ञान की संहिता पाठ एवं वैदिक ध्वनि शास्त्र के साइंटिफिक नियमों पर साउंड फ्रीक्वेंसीस और वायब्रेशन्स पर आधारित है जिसका प्रभाव चेतन मन , प्राण के साथ अवचेतन मन और मस्तिष्क पर होता है।

जिस प्रकार से योग आसन और प्राणायाम की प्रैक्टिस बाह्य शरीर के भौतिक ,स्थूल भाग को स्वस्थ रखने में सहायक होती है, उसी प्रकार मंत्र योग के साइंटिफिक वायब्रेशन्स से मन ,मस्तिष्क को साधा जाता है , वहाँ के विभिन्न विकारों, व्याधियों, तनाव, अनिद्रा , वविस्मृति , अनयंत्रित विचार प्रवाह जैसी नकारात्मकता को साधा जाता है।

मंत्र योग की निरंतर प्रैक्टिस से स्ट्रेस , तनाव , एंग्जायटी , अनिद्रा, डिप्रेशन, मानसिक थकान दूर होकर आत्मबल, एकाग्रता, मेमोरी, मनः शांति , मानसिक प्रफुल्लता , मानसिक दृढ़ता बढ़ाने में सहायक होती है।
मंत्र योग के विज्ञान को समझना , सीखने की प्रैक्टिस करना और फिर प्रतिदिन करना सरल है , मॉडर्न युग में जहाँ काम का अधिक प्रेशर शारीरिक और मानसिक दोनो प्रकार की थकान बढ़ा देता है ऐसे में शरीर के फिजिकल और मेन्टल स्ट्रेस को कम करने के लिए मंत्र योग बहुत सरलता से प्रभावी है।

विजय रावल
(वैदिक स्कॉलर)
9098948334

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